Teri Baaton Mein Aisa Uljha Jiya review : तेरी बातों में उलझा जिया, शाहिद कपूर और कृति सेनन की फिल्म, सिनेमाघरों में प्रदर्शित हो चुकी है। लेकिन ये एक प्रेम कहानी है, रोबोटिक एंगल है। इसमें कुछ रजनीकांत भी है। खैर, अगर आप भी इस फिल्म को देखने की इच्छा रखते हैं, तो पहले ये फिल्म कैसी है? ये फिल्मों में क्या खास है कि आपको देखनी चाहिए कि नहीं?
हर किसी को एक महान जीवनसाथी की जरूरत होती है। मैं भी हूँ और आप भी होगा। हर व्यक्ति चाहता है कि जीवन की इस यात्रा पर उसे एक ऐसा साथी मिले जो उसे समझे, उसे प्यार करे और सुंदर हो। पेट से दिल जाता है, इसलिए खाना भी अच्छा बनाती है। पढ़ी-लिखी होने के साथ-साथ हुनरमंद भी हो। आपके जज्बातों को समझने के लिए, आप बयां भी न करें। मैं अपनी पसंद नहीं कह रहा हूँ, बल्कि शाहिद कपूर और कृति सेनन की फिल्म तेरी बातों में ऐसा उलझा जिया का प्लॉट बता रहा हूँ।
9 फरवरी को ये फिल्म वेलेंटाइन वीक पर सिनेमाघरों में रिलीज हुई। मैं इस फिल्म को देखकर आया हूँ। देखते ही चेहरा मुस्कुराया और प्यार भी जागा। कई चीजें बहुत अच्छी लगीं, जबकि कुछ कमी लगी। फिल्म खत्म होने पर भी रजनीकांत को याद किया गया। यह बदलाव अब क्यों हुआ? आगे बढ़ते हैं और इस फिल्म के बारे में बारी-बारी से बताते हैं।
Teri Baaton Mein Aisa Uljha Jiya review
इस फिल्म की कहानी पूरी तरह से पुरानी है, लेकिन इसमें कुछ नया है। शाहिद कपूर एक लड़का है जिसका नाम आर्यन है। हम सभी ने कई फिल्मों में देखा है और असल जीवन में भी देखा है कि जब एक लड़के की उम्र हो जाती है, उसके घर वाले उसकी शादी कराने की कोशिश करते हैं. यहां भी ऐसा ही है। आर्यन के घर वाले कई रिश्ते लाते हैं क्योंकि वे चाहते हैं कि अब उनका बेटा शादी कर ले। आर्यन भैया, हालांकि, हर बार शादी से इनकार करते हैं। Aryan रोबोटिक्स का इंजीनियर है।
उसकी मासी, डिंपल कपाड़िया, भी इस क्षेत्र में काम करती हैं और अमेरिका और भारत में अपनी रोबोटिक कंपनी चलाती हैं। मासी की जिंदगी में सिफरा (कृति सेनन) नाम की एक लड़की आती है। आर्यन, जो हमेशा शादी से इनकार करता था, सिफरा की अदा पर फिदा हो जाता है। वह उसे अपना जीवन देता है। वह उसके साथ घूमता है, फिरता है, बाइक को पीछे रखता है और एक लंबी यात्रा पर जाता है, खाना खाते हुए।
वह जो कुछ भी करता है, उसी के साथ अपने सपनों को संजोने लगता है। हालाँकि, जब उसे पता चलता है कि सिफरा लड़की नहीं है, बल्कि एक रोबोट है, तो यह एक ट्विस्ट है। भाई के सारे सपने एक झटके में बिखर जाते हैं। बाद में वह सिफरा से शादी करता है। सिफरा को चाहते हुए भी उसके प्यार को मंजिल नहीं मिलती। क्योंकि वह सिर्फ एक मशीन है।
कुल मिलाकर, इस फिल्म की कहानी प्रेम कथा की है, जैसे हम पहले से देखते आ रहे हैं। अंतर सिर्फ इतना है कि पहले हीरो हर बार किसी लड़की पर दिला आता था, अब रोबोट पर दिला आता है। यही फिल्म की सबसे अच्छी बात है, जो इसे रोचक बनाती है। कॉमेडी का पिटारा खुलने लगता है जैसे-जैसे सिफरा आर्यन की जिंदगी में आती है और उसके घर-परिवार के बीच आती है। जब आर्यन के घरवाले सिफरा की सच्चाई से अनजान हो जाते हैं, तो पर्दे पर रोबोट और इंसान का कॉम्बो देखना चार चांद लगता है। हर सीन आपको हंसने लगता है।
जैसे, आर्यन की बुआ सिफरा से पूछती है, “तुम क्या करते हो?””क्या करवाना है आपको?” भैया सिफरा एक ठहरी रोबोट है, इसलिए वह भी अपनी तरह का जवाब देती है।” शाहिद कपूर उसे अपने घर ले जाने से पहले अपने से सभी बड़ों का पैर छूना बताते हैं। “मैं तो अभी एक साल की ही हूं,” वह एक छोटे बच्चे का पैर छू लेती है।खूबसूरती की तारीफ करते हुए किसी ने दिल्ली को जलाना
वह उस मजाक को सीरियस लेती है और फिर उसे आग लगाती है। फिल्म में इस तरह की बहुत सी चीजें हैं जो आपको बहुत अच्छा लगेगा। और आप रोमांटिक और कॉमेडी फिल्में देखना पसंद करते हैं तो आप इससे बिल्कुल नहीं बोर होंगे। हां, कुछ जगहों पर कुछ लॉजिक की कमी जरूर महसूस होगी। हम इसके बारे में आगे बताते हैं, लेकिन पहले एक्टिंग की कुछ बातें देखें।
एक्टिंग
शाहिद कपूर एक उत्कृष्ट अभिनेता हैं। यहां भी उन्होंने शानदार प्रदर्शन किया है। पूरी फिल्म में उनकी एक्टिंग बेहतरीन रही है, सिवाय शुरू के कुछ सीन के। कृति सेनन रोबोट के रोल में शानदार ढली हैं और पर्दे पर उनकी प्रेंजेंस भी अच्छी लगती है। हाल ही में मैंने डिंपल कपाड़िया को एक वेब सीरीज, “सास बहू और फ्लामिंगो” में एक महिला ड्रग डीलर के किरदार में खूंखार रूप और गोलियों की बौछार करते देखा था। उस रोल को उन्होंने ऐसा निभाया था, मानो वह जीवित थीं, और अब शाहिद की मासी के किरदार में वह बेहतरीन लगी हैं। धर्मेंद्र भी इस फिल्म में हैं। शाहिद उनके दादा बन गया है। वह इस छोटे से रोल में भी ऑडियंस को हंसा सकते हैं। फिल्में के अंत में जान्हवी कपूर भी दिखीं। उनके पास एक छोटा सा कैमियो रोल है।
फिल्म में नवीनता, लेकिन कुछ लॉजिक की कमी
अमित जोशी और आराधना शाह ने इस फिल्म को डायरेक्ट किया है। इन दोनों ने भी स्क्रीनप्ले लिखा है। पर्दे पर दोनों ने शानदार काम किया है। दोनों ने रोबोटिक एंगल का इस्तेमाल करके बॉलीवुड में लंबे समय से बनती आ रही सादी रोमांटिक फिल्मों को कुछ नया दिखाने का प्रयास किया है। नएपन के दौरान दोनों ने लॉजिक को भूल गया। कुछ सीन लॉजिक से ऊपर उठते हैं। जैसे, एक सीन में रोबोट सिगेरट पीता है। लेकिन मेरी जानकारी के अनुसार, शायद रोबोटिक्स इतना आगे नहीं बढ़ा है। थोड़ी देर के लिए मान लेते हैं कि वह भी एडवांस हो गया है, लेकिन क्या इतना भी एडवांस हो गया है कि बात प्रेम और बेड तक पहुंच गई? जब मैं सिफरा को खाना खाते देखा, मुझे एक जगह और लॉजिक की कमी महसूस हुई। ख्याल आया कि क्या रोबोट भी खाना खा सकते हैं, तो मेकर्स ने अपनी चालाकी दिखाई और खाना खाने के सीन को ऐसा दिखाया कि मैं गलत था।
एक अतिरिक्त सीन भी है, लेकिन इसमें लॉजिक की कमी थोड़ी खलती है। फिल्म की शुरुआत में, वह आदमी जो सिफरा को नियंत्रित करता है, उसे नियंत्रित करता है, उसके चेहरे के भावों से उसकी भावनाओं को समझता है। लेकिन फिल्म के अंत में एक सीन आता है, जहां सिफरा को एक दिन-प्रतिदिन सहायता देने वाले रोबोट के तौर पर दुनिया के सामने पेश किया जाता है। तो आर्यन उस समय उसका निदेशक नहीं है। लेकिन वह आर्यन को किसी दूसरी लड़की से बात करते हुए देखकर घबरा जाती है। इस सीन को देखकर मन में ये सवाल उठता है कि क्या मशीनों को अंदर रखा गया है
रजनीकांत को क्यों याद आया?
यदि आपने 2010 में रिलीज हुई रजनीकांत की फिल्म “रोबोट” देखी है, तो आपको याद होगा कि चिट्टी, यानी पिक्चर का रोबोट अंततः सोसाइटी को नुकसान पहुंचाता है। “तेरी बातों में ऐसा उलझा जिया” भी कुछ ऐसा है। इंटरव्यू के बाद, सिफरा भी खतरनाक दिखती है। साथ ही, वह कई खतरनाक कार्यों को पूरा करती है, जिससे आपको रजनीकांत के रोबोट की याद आती है। साथ ही, यह स्पष्ट है कि शाहिद ने एक बेहतरीन मनोरंजन फिल्म बनाई है, लेकिन फिल्म कुछ हद तक रजनीकांत की फिल्म से प्रेरित है।
इस फिल्म को देखना चाहिए या नहीं
हालाँकि, कुछ कमियों के बावजूद, “तेरी बातों में ऐसा उलझा जिया” एक अच्छी फिल्म है। मेकर्स ने रोबोट के साथ इश्कबाजी को इस तरह से पेश किया है कि आप एंजॉय करेंगे, हालांकि कुछ बातें लॉजिक से परे हैं। कुल मिलाकर, ये एक ऐसी फिल्म है जिसे एक बार देखना चाहिए।